Neerja Sharma

Others

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Neerja Sharma

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घर की रेल

घर की रेल

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कितना निश्चल ,कितना निर्वेद

होता है भाई- भाई का प्रेम।


पल में कट्टी पल में बट्टी 

दूसरे पल ही मस्ती मस्ती ।


धींगा मस्ती दौर सुहाना 

चोट दर्द न कोई उलाहना।


छोटा बड़ा दोनो बराबर 

जिसका जोर चला वही ऊपर।


अनोखा बचपन अनोखे खेल

बच्चों से चलती घर की रेल ।


दादू इंजन सबसे प्यारे 

हर डिब्बे के वही सहारे ।


हर शिकवा शिकायत करते दूर

सुलाह करवा देते नए रूप ।


अपना बचपन अपने पोतों में पाते 

उनकी झलक दिखा अपूर्व आनंद दिलाते।


जीवन का असली मजा यही है 

घर की रेल यूँ ही दौड़ती रहे दुआ है।


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