घर एक मंदिर
घर एक मंदिर
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प्यार की दीवारें
मिलाकर बनता घर
नींव प्यार की डालते दो दिल
अंगूठी पहना नाम देते इस रिश्ते को।
प्यार का बंधन
बँधता विवाह बंधन में
जुड़ता पारिवारिक रिश्ता
दो दिलों का जन्मों तक का।
प्यार की चाबी
खोलती नव निर्मित द्वार
स्नेह अर्चन सजता घर आँगन
कली खिलती फिर प्यार की वहाँ।
घर बनता फिर मंदिर
प्यार की बजती घंटियाँ
किलकारियों का बंटता प्रसाद
प्रफुल्लित मन करता जय जयकार।
एक ही प्रार्थना
घर आँगन बसा रहे
खुशियाँ लबलबाती रहें
आशीर्वादों के फूल झरते रहे।
