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Amit Kumar

Others

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Amit Kumar

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ग़ज़ल हो, गीत हो..

ग़ज़ल हो, गीत हो..

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ग़ज़ल हो गीत हो कविता, ये मेरी ज़िंदगानी है,

मोहब्बत तुझसे ही है ये, बड़ी लंबी कहानी है।

न जब तक देख लूँ तुझको, करीबे हुस्न के जैसा,

अजब सी टीस उठती है, और आंखों में पानी है।


दहकता द्वंद दिल मे है, लिखूं मैं क्या तेरी खातिर?

मैं तुमसे प्यार करता हूँ, जीता हूँ तेरी खातिर।

मगर अफसोस ये है ज़िन्दगी का तूँ इसे सुन ले,

है कितना प्यार तुझको ये, अधूरी सी कहानी है।


मैं जब भी गीत लिखता हूँ, कभी पूरा नहीं होता,

हमेशा एक कोने से, अधूरा सा बना रहता।

हज़ारों कोशिशें कर लूं, मगर मैं लिख नहीं पाता,

मगर जो कुछ भी लिखता हूँ, ये तेरी मेहरबानी है।


तेरा अहसान मुझ पर है, तेरा वरदान मुझ पर है,

तेरे चरणों की सेवा से, मिला सम्मान मुझको है।

मेहरबानी तेरी हो गर, तभी मिलता यहां सब कुछ,

सभी का साथ हो, सम्मान हो मर्ज़ी तुम्हारी है।


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