फ़ैसला
फ़ैसला
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इक दिन तेरे हक़ में फ़ैसला हो जाएगा।
दर्द जब हद से गुज़रेगा दवा हो जाएगा।
ग़ीबत नही रूबरू हो के हर बात कीजे,
ज़्यादा क्या होगा दोस्त ख़फ़ा हो जाएगा।
वो चाहत,राहत,सजदा वो ही इबादत अरे,
इतना ना चाहो उसे वो बेवफ़ा हो जाएगा।
थोड़ा वक़्फ़ा मुलाकातों में रखा कीजिये,
रोज़ रोज़ मिलने से मसअला हो जाएगा।
कर देंगे ख़ुद को क़ज़ा के हवाले देखना,
ख़त्म ये ग़मो का सिलसिला हो जाएगा।
किसी के सब्र को यूँ न आज़माओ तुम,
रुख़ जो उसने बदला मसअला हो जाएगा।