एक उम्मीद , एक किरण
एक उम्मीद , एक किरण
बनता बिगड़ता वो खूबसूरत चेहरा ,
लगने लगा जैसे खुदा हो गया बहरा।
चेहरे पर दिखी बेझिझक मुस्कान ,
ले गया सब कुछ आया इक तूफान।
बह गया वो घर, वो कूचे, वो गलियारे,
विकराल प्रलय था निगलने को तैयार
अभी तो माँ की गोद थी भरी,कब हो गयी सूनी,
सोचा न होगा किलकारियाँ , सब दब जाएंगी यूँ ही ।
एक सैलाब था इधर , एक था उधर ,
जिंदगी कुछ पल के लिए थी गयी ठहर।
सो जा मुन्ने, साहिल की तलाश है मुझे,
कुछ पल की बात है, भरपूर जिन्दगी दूंगी मैं तुझे ।
माँ की साँस रुक गयी बच्चे को उठाए ,
ढूँढ रही थी जिंदगी, न बचा कोई उपाय।
लम्हा दर लम्हा बच्चा फिसलता गया ,
माँ की गोद छोड़ , लहरों में बहता गया।
आज ,जब भी मैं तन्हा होती हूँ , दिखती है वही मुस्कान ,
सोचती हूँ सृजनहार, तू बन गया कैसे हैवान ।
जब भी गुनगुनाती हूँ,
अपने अश्कों में तेरा ही चेहरा पाती हूँ ।
मैं मुतमइन हूँ , वो सुबह आएगी कभी,
इल्तिज़ा है मेरी तुझसे यही,
न खफ़ा होना तुम हमसे कभी ,
कहर न ऐसा बरसाना कभी ,
दुआएँ तेरी रहें हमारे साथ सभी।
