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Shyama Sharma Nag

Others

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Shyama Sharma Nag

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एक उम्मीद , एक किरण

एक उम्मीद , एक किरण

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बनता बिगड़ता वो खूबसूरत चेहरा ,

लगने लगा जैसे खुदा हो गया बहरा।

चेहरे पर दिखी बेझिझक मुस्कान ,

ले गया सब कुछ  आया इक तूफान।


बह गया वो घर​, वो कूचे, वो गलियारे,

विकराल प्रलय था निगलने को तैयार​

अभी तो माँ की गोद थी भरी,कब हो गयी सूनी, 

सोचा न होगा किलकारियाँ , सब दब जाएंगी यूँ ही ।


एक सैलाब था इधर , एक था उधर ,

जिंदगी कुछ पल के लिए थी गयी ठहर।

सो जा मुन्ने, साहिल की तलाश है मुझे,

कुछ पल की बात है, भरपूर जिन्दगी दूंगी मैं तुझे ।


माँ की साँस रुक गयी बच्चे को उठाए ,

ढूँढ रही थी जिंदगी, न बचा कोई उपाय।

लम्हा दर लम्हा बच्चा फिसलता गया ,

माँ की गोद छोड़ , लहरों में बहता गया।


आज ,जब भी मैं तन्हा होती हूँ , दिखती है वही मुस्कान ,

सोचती हूँ सृजनहार​, तू बन गया कैसे हैवान ।

जब भी गुनगुनाती हूँ,

अपने अश्कों में तेरा ही चेहरा पाती हूँ ।


मैं मुतमइन हूँ , वो सुबह आएगी कभी,

इल्तिज़ा है मेरी तुझसे यही,

न खफ़ा होना तुम हमसे कभी ,

कहर न ऐसा बरसाना कभी ,

दुआएँ  तेरी रहें हमारे साथ सभी।



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