STORYMIRROR

Vinita Rahurikar

Others

3  

Vinita Rahurikar

Others

एक सन्नाटे में...

एक सन्नाटे में...

1 min
274

दिल के खाली कमरे में

स्मृतियों के झरोखों से

आती रहती है

उड़-उड़ कर

तेरी यादों की चिट्ठियां

कुछ मेरे भावों की

कविताओं में पिरोई हुई

कुछ तेरे वादों पर

विश्वास के हस्ताक्षर से

सजी हुई...

कुछ साथ बिताए

खुशनुमा लम्हों की

बातों में डूबी

तो कुछ कंधों पर सर रखे

भविष्य के ख्वाब सँजोती हुई....

कुछ चिट्ठियां

खिलखिलाती हैं

कुछ राह तकती हैं

कुछ बेरंग भी हो गई हैं

तेरे इंतज़ार की

धूप में तपती हुई....

कमरे में उड़ती हैं

दीवारों पर सर

टकराती हैं

खिड़की से बाहर

देखती हुई

इंतज़ार की एक चिट्ठी

अब भी अटकी हुई है

दरवाजे के पल्ले में

की तुम कभी तो आओगे.....


Rate this content
Log in