एक सीप में बंद मोती की कहानी
एक सीप में बंद मोती की कहानी
एक सीप में बंद
मोती की कहानी
पता थी बस
मोती को
न सीप को
न समुन्दर को
न इसे पाने वाले को
न इसका साथ निभाने
वाले को
इसका मूल्य कोई
पारखी भी
आंक न पाया
यह प्रभु की लीला
प्रभु की सृष्टि का
एक अभिन्न अंग,
एक अलौकिक रूप थी
यह एक बंद कली थी
ओस की बूंदों में नहाई
इसे न कभी खिलना था
न कभी फिर खिलकर
मुर्झाना था
इसे तो
बिना किसी के हाथ आये
रहना था
सागर की तलहटी में
भेद उसके दिल का
गहरा
कोई लाख जानना चाहे पर
वह कुछ भी किसी को
क्यों बताये।
