एक गुजारिश
एक गुजारिश
थाम लें खुशियां सभी की
सबकी खैर ओ सलामती की दुआ करें
चलो कुछ रोज बातें
घर की दर ओ दीवार से किया करें।
यूं तो उतरते हैं भंवर में हर दिन
ना डूबते हैं, ना पार होते हैं
छोड़ ख्वाहिशों के किनारों को
थोड़ा खुद में भी बहा करें
चलो कुछ रोज बातें
घर की दर ओ दीवार से किया करें।
दूरियां तन की हो,मन की ना बने
उठ कर तंग संकरे खांचो से
हम सब अब इंसान बने
जिस ओर सिरा है उलझन का
आओ जरा उस ओर रास्ता करें
चलो कुछ रोज बातें
घर की दर ओ दीवार से किया करें।