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Brijlala Rohanअन्वेषी

Others

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Brijlala Rohanअन्वेषी

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एक चेहरा ही काफ़ी है

एक चेहरा ही काफ़ी है

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देखने के लिए पूरी कायनात भी कम है ,

मगर चाहने के लिए एक चेहरा ही काफी है ।

महफ़िल तो सज जाएगी खुशियों की ,

मगर एक चेहरे के बिना बाकी सब अधूरी और बेबाकी है ।

नज़ारा तो न्यारी है इस दुनिया की ,

मगर उस नटखट परी के बिना सब नाकाफ़ी है।

चाहने के लिए एक चेहरा ही काफी है ।

शरारत तो मैं भी करता हूँ शराफत की ,

मगर उस शरारती का सहारा मिले बिना बाकी सब बेरूखी है ।

परियाँ तो सपनों में सभी की आती होंगी !

मगर हकीक़त की परी के आगे बाकी सब फीकी और नाकाफ़ी है ।

दुनिया की नज़रों में होंगी कई खुबसूरत परियाँ ! 

मगर मेरे लिए इस आसमाँ की परी के आगे यूं ही व्यर्थ की झाँकी है ।

चाहने के लिए एक चेहरा ही काफी है ।

देखने के लिए यूं तो पूरी कायनात भी कम पड़ जाएगी ।

मगर मेरी इस दुनिया की महफ़िल में मौजूदगी के लिए वो मुस्कुराहट ही काफ़ी है ।

चाहने के लिए एक चेहरा ही काफ़ी है।



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