एक भाव ऐसा भी
एक भाव ऐसा भी
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ईर्ष्या एक स्थाई भाव है
कभी न कभी किसी न किसी से
हो ही जाती है।
मुझे भी ईर्ष्या हुई उन दोस्तों से
जो साले सारी रात पढ़कर मुझे सुबह जगाते थे,
मैं फेल हो जाता और उनके नंबर अच्छे आते थे।
इस भाव ने मुझे सारी रात जगाया है
यही भाव है जो मुझे किताब के पास लाया है।
ऐसे भाव ने मुझे पास कराया है।
इस भाव को आना चाहिए,
दूसरे का बुरा नहीं, इस भाव से अपना अच्छा हो जाना चहिये।
