एडजस्ट
एडजस्ट


ज़रा सा कष्ट कर लेते
ज़रा सा एडजस्ट कर लेते,
क्या फ़र्क़ था ही पड़ता
जो तुम आवाज़ धीमी कर लेते,
क्या मुमकिन नही था तुम्हारा,
कुछ देर बाहर टहल आना,
जब ज़ज़्बातों का समंदर उमड़ा ही था,
तो तुम केवल सुनते,
ज़रा सा कष्ट कर लेते
ज़रा सा एडजस्ट कर लेते,
आख़िर किससे कहती वो,
दुख अपने, कई क़िस्से अनकहे,
हर बात हर परिस्थिति में,
वो एडजस्ट है करती,
आज ज़रा तुम भी कर लेते,
पर पुरुष सुलभ अभिमान,
कहाँ तुम्हें कुछ सुनने देता?
वो एक कहे तो तुम्हें उसे,
उसकी जगह दिखानी है,
यह सब तुम कैसे भूल लेते,
थी तो महज़ ज़रा सी बात,
केवल उसे दिलाना था मुझे,
मैं तेरे साथ हूँ का अहसास,
बस यही ज़रा सा कष्ट कर लेते,
तुम भी तो थोड़ा सा एडजस्ट कर लेते,
काश तुम भी ज़रा सा एडजस्ट कर लेते…