दुख के रोगी
दुख के रोगी
दुख के रोगी सभी पायें
सुख कि चिंता किसको न खाये
सुख - सुख करता मानव दुख से है
घिरता जाये हाये ये सुख कहाँ मिलेगा
कहाँ मिलेगा ये मानव कहते - कहते
एक दिन मानव कि मृत्यु हो जाये
भगवन कहे है मानव क्यों व्यर्थ चितंत होता
सुख - दुख तो जीवन का खेल
आज दुख है तो कल सुख का नया सवेरा है
कुछ क्षण के सुख में तो मुझको तू भूल गया
जब तुमपे दुख की छायाँ आयी तब तुमने मुझको खुब बुलाया
मानव कहे भगवन मुझको अब तुम माफ करो
ये मेरी थी भूल जो आपको गया भूल गया
क्या आप ये भूल गये मानव तो गलती मुरत है
जो माफ करे भगवन की ही सुरत है
वो भगवन की हीे सुरत है।
