दशानन का पुतला
दशानन का पुतला
लो सज गया दशानन तेरा पुतला ,दहक दहक कर जलने को ।
देने प्रमाण असत्य हारा है हरदम,सत्य की जीत प्रशस्त करने को ।।
महाप्रतापी ,लँका का स्वामी,अतिबलशाली,भविष्यवेत्ता,
परम भगत महादेव का, सहस्त्र विद्याओं का ज्ञाता ,
ऋषि विश्रवा का पुत्र तू , था ब्राह्मण कुल से तेरा नाता ,
मेघनाद सा पुत्र था तेरा, कुम्भकर्ण सा बलशाली भ्राता ,
काल किया था वश में तुमने ,कोई न तेरे समक्ष टिक पाता ।
जाने क्यों तेरी मति भ्रष्ट हुई,चल दिया सीता हरण करने को,
लो सज गया तेरा पुतला, दहक दहक कर जलने को ।।
रावण तेरा अभिमान बन गया, तेरे लिये अभिशाप,
मर्यादाओं को लांघ के , कर बैठा अपने कुल का नाश।
महाज्ञानी विद्वान हो कर भी, कर गया जघन्य अपराध ,
घमंड था तेरे मन के अंदर या था मस्तिष्क में अवसाद ।
क्यों बढ़ चले कदम तेरे ,स्त्री चरित्र मर्दन करने को ।
लो फिर सज गया तेरा पुतला ,दहक दहक कर जलने को ।।
तुझ पर ही भारी पड़ गया, रावण तेरा दम्भ ,
तेरे अंत से सुनिश्चित हुआ, रामराज्य का प्रारम्भ ।
आज भी ऐसे कई रावण हैं इस जग में,
जो कर रहे हैं अत्याचार,
कटुता, वासना , हिंसा भ्रष्टाचार ,ये सब हैं रावण का ही परिवार ।
'हे रघुवर' तुम कब आओगे,इनका संहार करने को ?
लो सज गया दशानन तेरा पुतला ,दहक दहक कर जलने को।
देने प्रमाण असत्य हारा है हरदम,सत्य की जीत प्रशस्त करने को ।।
