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Prem Bajaj

Children Stories Inspirational

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Prem Bajaj

Children Stories Inspirational

दोस्ती

दोस्ती

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इक थी मेरी प्यारी सखी,

बचपन की इक न्यारी सखी।


मै और मेरी प्यारी सखी खेला करते थे खेल,

कभी लुडो, कभी साँप-सीढ़ी, और कभी छुक-छुक रेल।


लुडो में हमेशा ही उसकी गोटियाँ मेरी गोटियों से पहले

घर में जाती थी और वो खुश हो जाती थी।


इक बार मेरी घर में चली गई थी घर में,

मुझसे ख़फा़ हो गई वो जाने क्यूँ।


कोई तो मना दो उसको,

इक बार बुला दो उसको।


कोई तो बताओ उसको,

जैसे दिलों के मेल मे व्यापार नहीं होता,

वैसे खेल में कोई जीत या हार नहीं होता।


दोस्तो की दोस्ती में, बच्चो जैसे खेल-खेल में,

जीत या हार होता नहीं बस प्यार ही प्यार होता इसमे..........


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