दोस्त
दोस्त

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दोस्त वही जो मुसीबत में काम आये
दो दोस्त व रीछ की कहानी
बहुत छोटे थे जब पापा ने सिखाया था
कम समझ आया था
खूब अच्छे से रट्टा लगाया था।
तब सवाल नम्बरों का था
आज सवाल जिंदगी का।
कुछ नहीं भूला
सब कुछ याद है ।
ख़ुदा की नियामत है
जब भी दोस्त मिले
बहुत अच्छे मिले।
न छल न कपट
न चित न पट
साफ दिल स्पष्ट।
एक दूसरे पर हक रखना
हक जमाना
मुसीबत में एक दूसरे के काम आना ।
बस छोटी से है ये प्रभु से प्रार्थना
सभी सुखी रहेंं ये मंगलकामना।