दिया सबहि हमैं आपन वोट
दिया सबहि हमैं आपन वोट
भइया हमहूं लड़त चुनाव हई,
क्षेत्र होय हमार लखनऊ कैंट।
पहिन लेहन कुर्ता पायजामा,
छोड़ देहन अब शर्ट पैंट ।
दिया सबहि हमैं आपन वोट,
बनाय दिया हमें एम एल ए।
हर मांग तोहार हम पूरी करब,
हम कइ देबै सब बल्ले बल्ले।
जीत जाब यदि हम चुनाव,
न डालब तुंह पै कउनव भार।
न चाही हमका सरकारी पेंशन,
न चाही तोहरे टैक्स से पगार ।
बस बनाय दिया हमैं माननीय,
तब आपन रूप तुहैं दिखाउब।
जितनी होय समस्या सबकै,
सबका अपने क्षेत्र से दूर भगाउब ।
जब चाहें तब मिलि लिहा हमें,
न होए केहू हमार प्रतिनिधि।
शिक्षा, खेल, स्वास्थ्य खातिर,
खुली रहे विधायक निधि।
सरकार से न चाही हमें सुरक्षा,
हम होई तोहार जनप्रतिनिधि।
हमें न बाटय जनता से खतरा,
हम तौ होई अब समाज निधि।
जवन बात कहत बाटी हम,
वह सब बात करब हम पूरी।
अगर बात न पूरी होऐ,
तब उछाल दिहा मुंह पर धूरी।
अपने संग परिजन की संपत्ति,
सब लिखित में तुहैं बताउब।
यदि बढी तनिक आय से ज्यादा,
तब प्रजातंत्र कै गीत न गाउब।
देब ने हम कवनउ फ्री चीज,
बस लाउब हम काम कै बहार।
मन करे तो हमका वोट दिहा,
चाहे भगाय दिया और के दुवार।।
न देबै हम तुंहका कवनव सौगात,
न करब तोहर हम कुछ माफ।
टैक्स कै पैसा सब तुंहसे लेबै ,
वही से करबै तोहार विकास।
हम होई रक्षक यहि देश कै,
न करब हम कवनउ मनुहार।
बात हमार जौ अच्छी लागै,
तौ वोट दिहा हमैं अबकी बार।।