दिवाली खास थी
दिवाली खास थी
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हंसी बांटने फिर आया दीपों का उत्सव
रंग बिरंगे फूलों से सज गए थे घर आंगन
इस बार कुछ अलग था,
घर जाने की खुशी थी और तोहफे भी हमने खूब लिए थे
हफ्ते भर चलने वाली दिवाली बस अब दो दिन की हंसी थी
मन अभी भरा नहीं पर छुट्टी भी कहां मिली थी
आँखे नम थी जल्द मिलेंगे कहके हमने ली बिदा थी
दिवाली कुछ खास थी अपनो से मिलने मुझे घर लाई थी।
