STORYMIRROR

J P Raghuwanshi

Children Stories

4  

J P Raghuwanshi

Children Stories

*"दीवाली"*

*"दीवाली"*

1 min
454


द्वार-द्वार आई दीवाली,

खीलें और बताशों वाली।

अम्मा की अब सज रई थाली,

बच्चे बजा रहे हैं, थाली।

द्वार-द्वार आई दीवाली।


हर आंगन डाली रंगोली,

टीका सबै लगा रहें रोली।

दीवाली ने रौनक घोली,

हर्षित है, बच्चों की टोली।

द्वार-द्वार आई दीवाली।


भांति-भांति की बनी मिठाई,

देखो भाई दीवाली आई।

मिल कै खेले बहना भाई,

फुलझड़ियों की झड़ी लगाई।

द्वार-द्वार आई दीवाली।


सुंदर-सुंदर दीप सजे हैं

घर आंगन सब सजे धजे हैं।

फुलझड़ी और पटाके वाली,

द्वार-द्वार आई दीवाली।


आओं सब का तिमिर मिटायें,

घर-घर में हम सब दीप जलायें।

गिरे हुओं को भी अपनायें,

उनको अपने गले लगाये।

भूल जाओ अब वैरन सारी,

द्वार-द्वार आई दीवाली।



Rate this content
Log in