STORYMIRROR

Ritu asooja

Others

2  

Ritu asooja

Others

*धरती मां *

*धरती मां *

1 min
112

 मैं धरती माँ का अपकारी हूँ,

ये धरती न तेरी है, ना मेरी है


ना धरती माँ के लिये कत्ले आम करो

ना धरती माँ का अपमान करो।

जख्मो से धरती छलनी है,

मत अपने विनाश का सामान करो,

धरती का सीना जब फट जायेगा

विनाश ही विनाश हो जायेगा ।


भगवान ने धरती हम मनुष्यों के लिये

बनायी ,

धरती का भार मनुष्यों को दिया।

तुम चाहो तो धरती को स्वर्ग बना लो या नरक

मनुष्यों को तो देखो ,

अपने बुरे कर्मों द्वारा धरती को युद्ध भूमि ही बना डाला ।


अरे ये धरती हम मनुष्यों की है ,

ये इस धरा का उपकार है कि उसने हमें रहने के लिये स्थान दिया

जानते तो अग़र धरती ना होती तो हम बिन पैंदी के लौटे की तरह लुढ़कते रहते

प्रकृति के रूप में हमें जो विरासत मिली है

उसका संरक्षण करो , मत इसका भक्षण करो।


अपने हक में तो सब दुआ करते हैं

काश की सब सबके हित में

दुआ करने लग जाएं तो धरती पर स्वर्ग आ जाये।



Rate this content
Log in