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Shweta Maurya

Others Children

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Shweta Maurya

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धरा

धरा

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धरा पर नदी बहती है कल-कल,

समय बढ़ता जाता पल-पल,

हवाएं बहती हैं हर क्षण,

झरना गिरता झर-झर,

जीव-जंतु क्रीड़ा करते हर पल,

वर्षा होती झमा-झम

कड़कड़ाते बादल, गड़गड़ाते बादल,

जंगल की कैनोपी में,

जीवों का जीवन कितना सुंदर,

वर्षा में टर टर करते मेढक

धरती माता फूल है,

इसे खिलाते रहना हम जीवों का उसूल है।


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