धन
धन
जीवन के सफर में धन से हर इंसान का नाता है।
जन्म से लेकर मृत्यु तक माया के इस भंवर में आज हर इंसान फसा है।
लगी है जीवन के सफर में हर इंसान की दौड़ ।
जीवन के इस सफ़र में क्या रात, क्या दिन,
क्या गर्मी ,क्या ठंड , क्या धूप, क्या छांव, लगी है सबकी आज दौड़ ।
माया के इस खेल में क्या नाते है ,क्या रिश्ते, सब इस से है बंधे।
आज समाज में इसी से है बनता है इंसान का रुतबा।
इंसान कितना है कमाता समाज में इंसान जितना कमाता है उतना ऊंचा उसका है रुतवा ।
पैसों से लेकर रुपयों में , सैकड़ों से लेकर हजारों में ,
हजारों से लेकर लाखों में, लाखों से लेकर करोड़ों की दौड़ में चलता है इंसान इस दुनिया में ।
कोई मेहनत से ,कोई आराम से ,तो कोई हराम से कमाता है धन ।
हे भगवान सबको देना सद्बुद्धि हर इंसान कमाए मेहनत से ,
हर एक के धन में देना बरकत, किसी का ना हो दरिद्रता से सामना ,
हर एक के जीवन में हो खुशी , सभी को खुशहाली और समृद्धि देना ।
सबके जीवन में अपार खुशियां हो ऐसा मेरा यहां जहान हो।