डियर डायरी 29/03/2020
डियर डायरी 29/03/2020
डियर डायरी ये क्या मैने शुरू कर लिया
सोचा था घर में हूँ खूब लिखूँगी
पर यहाँ तो उल्टा हुआ जा रहा है
जितना पहले था वह भी नहीं हो पा रहा।
आज का दिन तो वैसे तो अच्छा
कल की गोष्ठी की न्यूज से वाट्सएप भरा
चाय के साथ बस यही पढ़ा
कोटस का लेखन पैंडिग रहा।
ब्रेड कटलैटस के साथ बेटे ने बनाया शेक
ग्लास तो एक पर बर्तनों का ढेर
सब काम निबटा सोचा कुछ लिखूँ
फिर से कुछ बनाने का काम हो गया शुरू।
वाट्सएप के मैसेज बढे जा रहे थे
कभी फेस बुक तो कभी वाट्सएप
बार बार अंगुलियों के नीचे आ रहे थे
मिले कमैंटस मन ललचा रहे थे।
बच्चों की असाइनमेंट दिया कविता पाठ
उन्हे भी ललचाया ऑनलाइन के नाम
बच्चे कविता बना रहे थे
पर्सनल पर मेरे पहुँचा रहे थे।
अब एक दो दिन यही सिलसिला चलेगा
बच्चों को कविताओं का जोश चढ़ेगा
फिर होगी उनकी काव्य गोष्ठी
सोशल मिडिया पर होगी करोना ना जागृति।
सात कविताओं को पढ़ समझाया
उनका उत्साह स्टार दे देकर बढ़ाया
साथ में चला दाल रोटी का काम
पर अब शरीर पर चढ़ रहा थकान का नाम।
सच कहूँ सात बजे लेटना पड़ा
सुबह के बर्तनों का ढेर जो साफ किया
अब पीठ को आराम की तलब थी
वरना मैं यह लिख न रही होती।
डिनर के बाद कीचन करके साफ
बर्तनों को छोड़ दिया सुबह के नाम
अब समय स्टोरी मिरर को दिया
डायरी का आकर्षण मन में लगा।
सो लो जी लिख दी आज की दिनचर्या
थक तो गई पर दिन था बढ़िया
गोष्ठियों की बधाइयों का ताँता बंधा
लेटे लेटे भी फोन चैक किया ।
एक बात तो भूल गई बताना
चंडीगढ़ प्रशासन को धन्यवाद देना
हर सामान सोसायटी में आ रहा
वह भी सही दाम में मिल रहा।
मोदी जी के दिमाग की देनी होगी दाद
कहने को कर्फ्यू पर मिले सब ठाठ
हस्बैंड ने राहत कोष पैसा भिजवाया
बेटे ने भी लावारिस पशु शाला को दिया।
बात पैसे की नहीं भावना अच्छी है
सरकार की सहायता भी जरूरी
हमारी तो एक दिन सैलरी जायेगी
सब सकुशल रहें तब असली खुशी आएगी।
कहाँ से चली और कहाँ पहुँच गई
घड़ी की सूृई 12 क्रास कर गई
कल तक के लिए अब गुडनाइट
प्रभु कल कोई नया केस न आए।
सर्वे भवन्तु सुखिन:,सर्वे सन्तु निरामया:
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु ,मा कश्चित् दुखभाग्भवेत।
इसी मंगल कामना के साथ
मातारानी की मेहर हम सब पर बनी रहे ।
