डायरी डियर 27/03/2020
डायरी डियर 27/03/2020
कर्फ्यू का तीसरा दिन
कल से ज्यादा काम
सब बैठे हैं बेबस घर में
करोना नाम से परेशान ।
सुबह की चाय के साथ
डैली कोट्स को निबटाया
नहा धोकर पूजा पाठ
परांठों का नाश्ता बनाया ।
सबके घर में होने से
सब काम होते हैं लेट
आज से रूटीन चैंज किया
सीधा ब्रँच मैनेज किया।
दोबारा जब फोन उठाया
बच्चों के मैसेज से भरमाया
असाइनमेंट को याद कराया
बस वही काम पहले निबटाया।
करोना के सब मैसेज पढ़ डाले
हृदय में जैसे पड़े हो छाले
डर का आलम और डराए
बस कोई बाहर न जाए ।
3/4 घंटे हुए बच्चों के नाम
ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का काम
करोना को हराना किया काव्यपाठ
साथ में चलाया असाइनमेंट का काम।
कब 8 बजे पता न चला
दाल चावल से काम बना
फिर कपड़े बर्तनों का काम
पीठ कहे न लो काम का नाम।
समय था पौने बारह के आसपास
मन थी अब भी इक प्यास
आज की डायरी लिख ही डालूँ
न उसको कल पर डालूँ।
अभी फिर एक मैसेज आया
करोना का भयंकर रूप बताया
सुनकर सच में डर लगता
पता नहीं ये करोना क्यों नहीं मरता।
हे प्रभु कुछ करो कमाल
सूर्य देव को चमका दो
गर्मी का प्रकोप बढ़ाओ
विश्व को त्रासदी से बचाओ।
बस अब करती हूँ बातें बंद
जल्दी न उठी तो होऊँगी तंग
हर काम होगा रूटीन भंग
शुभ रात्रि कल बाते सबके संग।
