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Rashmi Singhal

Children Stories

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Rashmi Singhal

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दादू के जूते

दादू के जूते

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सुनो-सुनो ऐ! मोची-भाई

कर दो जूतों की सिलाई,

मजबूती से करना काम

जूते नहीं हैं ये कोई आम,


ये रहते हैं मेरे दादू के पाँव

चलते उनकी हर धूप-छाँव,

तय किया कईं वर्षों का सफर

देखी सुख-दुख की हर ड़गर,


न रही सरल कभी इनकी राह 

है सत्यपथ ही इनकी गाह,

ये भाये दादू के सदा हीय 

ये जूते हैं उनको बहुत प्रिय,


चले जाऐंगे दादू प्रभू के धाम

करूँगा नित्य मैं इन्हें प्रणाम,

बना उनकी यादों की कहानी

रखुँगा पास यह चरण-निशानी,


सुनो-सुनो ऐ! मोची भाई

कर दो जूतों की सिलाई,

मजूबती ये करना काम

दूँगा तुमको बढ़िया दाम।


  


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