Garima Kanskar

Others

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Garima Kanskar

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चूड़ियाँ

चूड़ियाँ

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कोई भी मौका हो

कोई कितना भी रोके

कितना भी सिंगार कर लो

बिना चूडियों

के सब अधूरा अधूरा

से लगता है

चूडियों के साथ

ही पूरा पूरा से लगता है

लाल नीली

हर पीली सुंदर

चूडियों से सज

जाती कलाई

जो हर किसी को

पसंद आई

और ढेरों

खुशियाँ सभी

के मन मे समाई

चूडियों की खनखन

लगती है मन को

सुनसुन

जो बात जुबान

नहीं कह पाती

वो चूड़ियाँ कह जाती है

खमोशी की जुबान बन जाती है


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