चोर से ज्यादा कोई प्योर नहीं
चोर से ज्यादा कोई प्योर नहीं
चार पैसे हम कमा लिए तो
भूल गए सब संबंधों को
रे टे करते चल पड़े हैं
नाना दादा बहनों को।
दो दिन की अनुभव से
बता रहे हैं हम बरसों को
कैसे जी जाती जिंदगी
तौल रहे हैं परसों से।
बूढ़ा दादा फीका पड़ा है
छोटे बेटे के तेवर से
पत्नी तौल ली पति को
पिता के एक जेवर से।
तब हमें समझ में आया
दौलत का मोल नहीं है
वर्षों का अनुभव
दो दिन का निचोड़ नहीं है।
जो जिया है जिंदगी परिश्रम से
वह श्योर नहीं है
वास्तविकता तो यह है
चोर से ज्यादा कोई प्योर नहीं है।।
