हर बार खता कर बैठती है नज़र। हर पल, हर लम्हा तुझे ही ढूंढती है नज़र। हर बार खता कर बैठती है नज़र। हर पल, हर लम्हा तुझे ही ढूंढती है नज़र।
सभी के मुँह पे बस एक ही बात की सुनवाई, हमे घर कैद की सजा न जाने किसने है सुनाई। सभी के मुँह पे बस एक ही बात की सुनवाई, हमे घर कैद की सजा न जाने किसने है सुनाई।