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चलो नाराज होते हैं

चलो नाराज होते हैं

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चलो नाराज होते हैं...
बिखरते रोज के रिश्ते
उखड़ते नेह के चेहरे
लबे नासाज होते हैं...
 
मिलें सब एक से होकर
चलें सब साथ में लेकर
बनें सब ढाल दुर्दिन में,
राह से मंजिलें लेकर।
कहो अल्फ़ाज हिम्मत से
लफ़्ज आवाज होते हैं...
 
बुरे दिन सबके जीवन में,
जरा आते, चले जाते।
मगर पहिचान अपनों की
इन्हीं दिन में करा जाते।
बचे कुछ राज जीवन के,
यहाँ ना-राज होते हैं....
 
बिगड़ते संग दुनिया के,
मचलते ढंग दुनिया के,
कोई पहिचान न पाया,
बदलते रंग दुनिया के।
उठे जब देव दुनिया में
तभी क्यों काज होते हैं....?
 
अरे! सबसे विवेकी हो,
करो कुछ काम अच्छे भी,
सड़क, फुटपाथ, गलियों में,
भली डालो निगाहें भी।
मिले सुर से सुरीले रंग 
रंगारंग साज होते हैं...
चलो नाराज होते हैं....।।


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