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sunil saxena

Children Stories

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चला कौआ चाटने राख

चला कौआ चाटने राख

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चला कौआ चाटने राख

मिला उसे भुट्टे का एक दाना

ले चला उड़ कर अपनी चोंच में उस भुट्टे के एक दाने को पत्थर समझ के

डाला उस भुट्टे के एक दाने को उसने पानी के बर्तन में पत्थर समझ के


तैरने लगा वो भुट्टे का दाना पानी के बर्तन में

ना तो मिला पानी और ना ही मिला वो भुट्टे का एक दाना कौए को

गुस्से में आकर मारी एक ठोंग पानी के उस बर्तन को

टूट गया पानी का बर्तन , बह गया पानी मिटटी में

कौआ भुट्टे के एक दाने को ले कर उड़ चाला आसमान की ओर

गिरा वो भुट्टे का एक दाना कौए की बीट में धरती पर बन कर एक बीज

बीट की नमी से धरती ने भी खोला अपना गर्भ 

बारिश की एक बूंद से फूटा अंकुर , भुट्टे के उस बीज से

बंजर धरती पर भी बना भुट्टे का बगीचा उस भुट्टे के एक दाने से

सूरजमुखी ने भी अपनी जगह बनाई उस भुट्टे के बगीचा में

आ गई फूलों की बहार उस बंजर ज़मीन पे

फूलों की वादियां बन गई वो बंजर धरती

केवल कौए की चोंच में एक भुट्टे के एक दाने से!

 



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