छुट्टियां हैं अनमोल
छुट्टियां हैं अनमोल
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बचपन में बिताई वो सारी
गर्मी की छुट्टियां हैं अनमोल !
याद है मुझे आज भी माँ की
नसीहतों भरे मीठे मीठे बोल !
बहना का वो लाड़, प्यार
और सहोदर भाई का मुनहार !
दादा,दादी के दिए हुए संस्कार
और पिता का असीमित दुलार !
अब बड़े हो गए हम बचपन बीता
और वो वक्त कहीं आगे निकल गया !
पर अपने दिल का एक मासूम कोना
माता पिता के आँगन में ही रह गया !