छोटी छोटी मगर मोटी बातें
छोटी छोटी मगर मोटी बातें
छोटी छोटी बातों में छिपा है ज्ञान अथाह,
जो किसी अंधे को भी दिखाए राह,
सीप में मोती आया कैसे,
बीज में पेड़ समाया जैसे,
कैसे होती है ये बरखा,
जिसे देख है , मन मेरा तरसा।
चींटी कैसे उठाए भार,
पृथ्वी का कछुआ आधार,
कैसे आते हैं ये बादल,
ज्यों अंखियों में प्यारा काजल,
कैसे बजती है मीठी धुन,
हृदय कहे जिसे सुन सुन सुन सुन।
खिलते कैसे बाग में फूल,
कैसे उड़ती है ये धूल,
पानी कल राग सुनाए,
तारे कैसे टिमटिमाएं,
पंछी कैसे करते सैर,
ना कोई झगड़ा ना कोई बैर।
कैसे बच्चों की किलकारी,
रंग भरी हो ज्यों पिचकारी,
भौंरे करते फूल से प्यार,
इन बातों से बंधा संसार।।।