छदृ
छदृ
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थोड़ी और जगह बाकी है मेरे दोस्त।
एक छदृ कम था के इतने छदृ करवा लिए।
सुनने सुनाने का सिलसिला कम था।
के इतने छदृ करवा लिए।
बोलने बुलवाने का समय काम था के छदृ पे छदृ,
करवा लिए।
गुमनामियों के अंधेरी गलियों मत गुम जाना ।
सुनी पड़ी राहो में छदृओ में लगे जालों में फंसी बातों में झंझोड़ ना दे।
