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कल्पना रामानी

Others

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कल्पना रामानी

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चाँदनी हिंदी हमारी

चाँदनी हिंदी हमारी

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भव्य भारत के फ़लक की

चाँदनी हिन्दी हमारी।

कर रही रोशन भुवन को

भारती हिन्दी हमारी।


लय सुरों के साथ बचपन

में सिखाए जिसने आखर

आज तक वो इस हृदय में

है बसी हिन्दी हमारी।


मातृ-भू की अस्मिता पर

शत्रु जब हावी हुए थे

साथ थी हर जंग में यह

लाड़ली हिन्दी हमारी।


बंद मुख इसका किया करते

थे जो अब सिर झुकाते।

हर सभा में हो मुखर जब

बोलती हिन्दी हमारी।


मान देती जो इसे

देशी-विदेशी कोई भाषा     

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मानती सम्मान से

उसको सखी हिन्दी हमारी।  


विश्व में गहराइयों तक

जम चुकी इसकी जड़ें हैं

छाँव जग को दे रही

वट वृक्ष सी हिन्दी हमारी।


गीत, गज़लें, छंद, कविताएँ

इसी से हैं अलंकृत

प्राण भरती हर विधा में

सुरसई हिन्दी हमारी।


कैद जिनने था किया इसको

वे अब मायूस से हैं 

तोड़ पिंजड़ा उड़ रही

नभ में परी हिन्दी हमारी।


यह नहीं चेरी किसी की

राज सदियों तक करेगी

‘कल्पना’ रानी सदा है

सुंदरी हिन्दी हमारी।


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