Alok Singh
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चाँद भी सो गया
रात के आगोश में,
ऊजाला लेने लगा
उबासियां,
बादलों की ओट से
सितारे भी शरमाने लगे,
और छुट्टियों के मोह में
जुगनू भी हो लिया,
शांत थे अब सभी
खामोशियों के दौर में,
बड़ी बेसब्री से सहर होने का
इंतजार होने लगा।
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