चाँद गुमसुम है
चाँद गुमसुम है
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चाँद गुमसुम है ,
क्योंकि बादलों ने आ घेरा है ,
अपनी खूबसूरती वो धरा पे ..
कहाँ आज बिखेरा है ,
चाँदनी भी रूठी है ,
क्योंकि उसकी भी रौशनी सिमट रही है ,
बादलों ने आज ज़ुल्म कर रखा है ,
ना तो बरसता और ना ही..
आसमां से हटता है ।
