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Sudhir Srivastava

Others

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Sudhir Srivastava

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चाहत के धागे

चाहत के धागे

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हमारी चाहतें कुछ भी हों

पर हमारे चाहत के धागे

न ही टूटने चाहिए और

न ही उसमें गाँठ पड़नी चाहिए।

क्योंकि चाहतों के धागे

बहुत कमजोर होते हैं,

विश्वास के भरोसे चलते हैं,

जिसे संजोए रखना

हमारी जिम्मेदारी है।

हम अपनी जिम्मेदारियों को

समझते रहेंगे जब तक

तब तक चाहत के ये धागे

हमें प्रेम प्यार से पिरोते रहेंगे

वरना टूटकर नाता तोड़ लेंगे।

तब न चाहतों का सूत्र बचेगा

न ही चाहते के धागों का

अस्तित्व ही रह पायेगा

चाहतों का धागों का

खेल खत्म ही हो जायेगा। 



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