STORYMIRROR

Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Others

2  

Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Others

बसंत ऋतु

बसंत ऋतु

1 min
214


हवा भी आज मंद मंद चल रही है

कलियाँ भी धीरे धीरे खिल रही है

ये मौसम है हम सबका ही प्यारा,

बसंत ऋतु आज आँखें मल रही है

लग रहा है प्रकृति का रूप सुनहरा,


धरती पीली चुनर ओढ़ हँस रही है

बसंत ऋतु आज आँखें मल रही है

सर्दी के सुहाने कपड़े पहन रखें है

उनको आज ये प्रकृति बदल रही है

ये बसंत ऋतु है, प्यारे इस मौसम में, 

गर्मी धीरे धीरे अपने पैर रख रही है


बसंत ऋतु आज आँखें मल रही है

बदलाव का ये बसंत ऋतु गीत गाती है,

समय आने पर ये सबकुछ बतलाती है,

ये ऋतु भी हम इंसानों को समय रहते,

अपने में बदलाव करने की कह रही है



Rate this content
Log in