बसंत ऋतु
बसंत ऋतु
सरसों के खेत से भीनी भीनी महक आ रही है
प्रकृति पीत वर्ण मे नवयौवना नज़र आ रही है,
मौसम हमें कुछ ठंडा औऱ कुछ गर्म लग रहा है
अब ये सर्दी अपने मायके से ससुराल जा रही है,
दरख़्त के कुछ पते बसन्ती हवा में झूम रहे हैं
लगता है वृक्षों की भी पसन्दीदा ऋतु आ रही है,
सरसों के खेत से भीनी भीनी खुश्बू आ रही है
मुरझाये हुए चेहरे भी आज खिलखिला उठे हैं,
जब पता चला मनभावन बसंत ऋतु आ रही है
न बैर न झगड़ा किसी से,ये प्रकृति की गोद है ,
सबको ही ये बसंत ऋतु बेटा कह बुला रही है,
कहीं यह सुंदर ऋतु ऐसे ही न निकल जाये
ये मन मदन तेरा ऐसे ही तड़पता न रह जाये,
इस बसंत ऋतु को जल्दी गले लगा ले विजय,
ये सुहानी बेशक़ीमती बेला प्यासी ही जा रही है।