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Om Prakash Fulara

Others

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Om Prakash Fulara

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बरसात

बरसात

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आई बरसात जब,

नदी नाले भरे सब

मधुर ध्वनि से सारी

धरा गूँज रही है।


दादुर पपीहा बोले

मोर नाचे पंख खोले

रिमझिम बूंदों ने भी

कथा आज कही है।


सूरज की अगन से

हुई थी तपन घोर

मिट गई व्यथा वो जो

अब तक सही है।


उमड़ घुमड़ घन

बरसत झमाझम

हर घर आँगन से

गंगा आज बही है।



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