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आकिब जावेद

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5.0  

आकिब जावेद

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बर्फ

बर्फ

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फ्रिज में रहे तो कड़क

बाहर रख दो सिर्फ पानी

हाँ बर्फ!

नही उसका कोई आकार,

नही रखे कभी कोई प्रकार,

जैसा चाहो ढल जायेगा,

वैसा ही बन जायेगा,हां बर्फ!

ए काश!

जिंदगी भी बर्फ की मानिंद हो जाये,

जैसा हम चाहे वैसे ही अब ढल जाये,

सिर्फ काश!

काश!सिर्फ शब्द ही ना रह पाये,

क्यू ना इसको अब बदला जाये,

जिंदगी को जीने के तरीके बदले जाये,

जिससे जिंदगी के मायने भी बदल जाये!

हा बर्फ हैं!

जो कभी काम आता हैं,

बीमार लोगो को सिफ़ा के लियें,

तो कभी तपन में सुकूँ देता हैं,

बर्फ!

नाम नहीं सिर्फ पानी के बदले वजूद का,

ये तो संघर्ष हैं,, खुद उसके वजूद का,

जो पल भर में खुद को बदल जाये,

जैसा भी हो उसके साथ घुल जाये,

तो फिर,

बर्फ के जैसे ही क्यों ना बन जाये,

अपनी जिंदगी के मायने बदल जाये!!


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