बोलो क्या मैं वृध्द हुआ?
बोलो क्या मैं वृध्द हुआ?
बोलो क्या मै वृद्ध हुआ ?
जीवन की धार में बहता,
ऋतुओं से बातें करता,
वर्षों से चलता चलता,
आ गया कहाँ मैं?
कहाँ हूं मै?
बोलो क्या ..
मैं बलशाली,मैं सुन्दर था
मैं समर्थ,मैं हश्ट पुष्ट,
कहाँ गयी मेरी काया?
दिनभर जब ना थकता था,
आसमान की उम्मीदों को,
धरती पर रौंद के चलता था।
आफिस,घर और इस समाज को
साथ साथ ले चलता था
बोलो क्या...
मेरे चेहरे पर झुर्री है,
मेरी काया सिकुड़ई सी है,
कम्पन है हाथों मे मेरे,
जोड़ों में दर्द है टीस रहा,
तुतलाती मेरी जिह्वा,
धुआं धुआं सा छाया है,
मैं कैसा अशहाय हुआ?
कैसा निर्मम सा ये जीवन?
जीवन है अब किस करवट?
बोलो क्या..
निर्लाज्ज हुआ मेर जीवन,
बेखबर यहाँ पर सब मुझसे,
दो बात कहूं अब मैं किससे?
मैं काका में,मैं नाना में,
मैं बाबा में हूं तेरे
नाम मिले ना जाने कितने?
पर कितने हैं मेरे अपने?
क्या जीवन की है शाम यही?
क्या जीवन की यह भी बेला?
बोलो क्या मैं वृद्ध हुआ???
बोलो...
