बंदर
बंदर
1 min
332
मदारी ने फिर डुगडुगी बजायी
बन्दर से फिर पलटी लगवाई
तमाशबीनों की अच्छी खासी भीड़ जमा हो गई इस बार भी
मदारी की डुगडुगी से भय खाए बंदर ने
तमाशा किया था पहले विभाजन का, अल्पसंख्यक का
इस बार आरक्षण का
बन्दर बेचारा हर बार आहत होता
किन्तु नाचता मजबूर होकर
आखिर मदारी उसका जीवन दाता था
अन्नदाता था और मालिक भी
तो बंदरों ने खूब उछल कूद मचाई
तमाशबीनों ने आनन्द लिया
मदारी ने उसे हनुमान करार दिया
बस तब से बंदर कभी भय से, भूख से
कभी जनार्दन बनकर पलटी खा रहा है
और मदारी अपनी भीड़ बढाता ही जा रहा है.
