Kshama Sharma

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बीज

बीज

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मिट्टी में गहरा दबा हुआ 

एक बीज निरीह सा पुकार रहा 

ज़िंदा हूँ मैं अभी मरा नहीं 

इस आत्म भाव को जगा रहा 


एक बूँद कही से आने दो 

निर्मल वायु बह जाने दो 

फिर सूर्य मुझे जो तपा रहा 

वह ही जीवन दे जायेगा 

इस निर्मल ,सुन्दर मधुवन में 

जीवन किसलय लहरायेगा 


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