physics teacher
ठहर, संभल ,संगरोध तेरे अस्तित्व की अभी कुछ दिन शायद यही नियति है। ठहर, संभल ,संगरोध तेरे अस्तित्व की अभी कुछ दिन शायद यही नियति है।
फिर सूर्य मुझे जो तपा रहा वह ही जीवन दे जायेगा इस निर्मल ,सुन्दर मधुवन में जीवन किसलय लह... फिर सूर्य मुझे जो तपा रहा वह ही जीवन दे जायेगा इस निर्मल ,सुन्दर मधुवन म...
प्रेम, कितना स्वार्थ जगाता है? मुझे मैं और मेरे से परे कुछ भी समझ नहीं आता है, मैं हूँ, मुझ मे... प्रेम, कितना स्वार्थ जगाता है? मुझे मैं और मेरे से परे कुछ भी समझ नहीं आता है...
नहीं, मैं कन्या ! दान, नहीं दूंगी। जिसको अपनी साँसों से सींचा वो अभिमान नहीं दूँगी। नहीं, मैं कन्या ! दान, नहीं दूंगी। जिसको अपनी साँसों से सींचा वो अभिमान नही...
मैं ‘उस’ पर अधिकारों से मुक्त रहूँ तुम कर्त्तव्यों से विमुख तुम सब पाओ वो बस त्यागे। मैं ‘उस’ पर अधिकारों से मुक्त रहूँ तुम कर्त्तव्यों से विमुख तुम सब पाओ वो बस...