भुलाना मुश्किल है
भुलाना मुश्किल है
वो गाँव मेरा प्यारा सा
जहाँ हुआ था जन्म मेरा
याद उसकी आ जाती है,
जब भी जाना होता है
नाना नानी मामा से जुड़ी
हर याद ताजा हो जाती है।
उस धरती की खुश्बू बड़ी
प्यारी प्यारी लगती है,
वो आँगन हमको आज भी
बचपन मे ले जाता है,
नही रहे वो सब लोग वहाँ अब
फिर भी लगते आस पास हैं।
जन्म स्थान मेरा था
मेरे नानाका घर आँगन
नाम भी मिला मुझे
मेरे नाना से,
था उनका बहुत ही रोब गांव में,
एक तो वो नामी हकीम थे ऊपर से
थे पंचायत में,
दूर दूर तक था नाम उनका सब उनको
थे पहचानते।
जब तक थे छोटे तो छुट्टियों में था
आना जाना,
पड़ा बोझ जब सर पर पढ़ाई का
तो फिर जाना ना हुआ,
दे कर वो घर किसी और को मामा
बस गए फिर शहर में,
मन हुआ उदास फिर गांव की यादें याद
बन कर रह गयी,
पिछली बार जब गए उस गांव में
तो उस आँगन में फिर हो आये।
बदल गया था वो आँगन किसी और
के घर में ,
पर फिर भी याद आ गयी बचपन की
उस जमीन पर खड़े होकर
वो यादें सब ताज़ा हो गयीं
याद सब अपने आ गए,
नहीं रहे वो सब अपने अब पर
वो धरती तो है अब भी वहीं।
अच्छा बहुत लगा वहां जाकर
फिर एक सेल्फ़ी ले ली वहाँ की,
जब भी याद आती है जन्म भूमि की
अपनी वो तस्वीर देख लेते हैं
उस मिट्टी की खुश्बू जहन में फिर उभर आती है,
वक्त के साथ साथ हम जगह जरूर बदल लेते हैं ,
पर जनम स्थान की यादों को भुलाना मुश्किल है।