भरोसा
भरोसा
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काली स्याह रात को
नई सुबह के इंतजार में
गुजरते देखा है
एक मामूली से शख्स को
लोगों की उम्मीदें बनते देखा है
साथ ही देखा है
हर दिन को ढलते हुए
रात के करीब जाने के लिए
और देखा है
लोगों की उम्मीदों को टूटते हुए
अब तो समझ भी आता है
क्यों टूटती है उम्मीदें
क्योंकि हमको नहीं होता
खुद पर भरोसा
इसलिए टूटती है उम्मीदें
ढलता है दिन
और आ जाती है काली स्याह रात