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Neerja Sharma

Children Stories Drama

4  

Neerja Sharma

Children Stories Drama

भोला बचपन

भोला बचपन

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 साल 2000

समय दोपहर

कर रही थी सिलाई 

पीछे से 'माँ 'आवाज आई।


तीन साल का बेटा 

गर्दन में गया झूल 

मुझ से हो गई थोड़ी भूल

मैं भी आगे गई झूल।


बेटा छोटा, न संभल पाया 

माथा रील वाली कील से टकराया

उसके चीखने पर मैं घबराई 

माथे से खून की धार आई।


पहले तो कुछ समझ न आया 

जल्दी से माथा था दबाया 

उसको देख रोना जो आया 

रोते- रोते उसे सहलाया।


जैसे तैसे बर्फ लगाई 

लाल हाथ,आए और रूलाई 

हैरान थी बेटा अब चुप था 

मेरा रोना कम न था।


एक ही बात दोहरा रही थी 

'ऐसे क्यों पीछे से लटके'

'आँख में लग जाती तो'

'तुम्हें कुछ हो जाता तो।


खून रूका तो साँस आई 

वो देखे ,न पलक झपकाई

मेरे आँसूँ पौंछकर बोला 

'माँ सौरी' कान पकड़कर बोला।


भोली मुस्कान रूक गई रूलाई

रोते को फिर हँसी आई 

दर्द छू-मंतर हुआ भाई

अब टैटनस की बारी आई।


चाकलेट के बहाने डा. के गए

टीके को देख होश उड़ गए

फिर से दौर रोने का शुरू 

नहीं लगाना रट हुआ शुरू।


जैसे तैसे टीका लगा 

प्यार से चाकलेट खाने लगा 

डा.ने पूछा दर्द हुआ ?

बोला कुछ नहीं, चुप रहा।


खाते खाते बोला अचानक 

सूई मशीन को लगाओ आँटी 

उसने मुझे चोट लगाई 

सुन सबको जोर से हँसी आई।


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