भोजपुरी पूर्वी लोकगीत – ये निर
भोजपुरी पूर्वी लोकगीत – ये निर


बितली गरमिया आई गइली बरखा बहार,
ये निरमोही बालम।
टप टप चूयेला घरवा हमार,
ये निरमोही बालम।
जहिया से गईला भेजला न रुपईया,
टूटी गईली खटिया टूटली मड़ईया।
बिना पईसा छवाई कई से घरवा हमार,
ये निरमोही बालम।
सासुजी सुताई बुलाई अपने लगवा,
खांसी खांसी ससुर जी करे रत जगवा।
हमके ना बुझात बचाई कई से लजवा हमार,
ये निरमोही बालम।
अवता जे घरवा हाली घरवा बनवता,
उखिया के पतई फूस मड़ई छववता।
राति भर जागी हमहू गारी अचरा हमार,
ये निरमोही बालम।
जाइके अफिसवा मे फरमवा भरवता,
शौचालय औरी आपन ठीकनवा बनवता।
खेतवा मे हँकता हरवा खूबी ललकार,
ये निरमोही बालम।
खेतवा मे सबकर हरियर बियवा ललचाये,
परती पड़ल खेतवा हमरो मनवा घबराये।
रहता घरवा संगवा रोपती धनवा के झार,
ये निरमोही बालम।
टप टप चूयेला घरवा हमार,
ये निरमोही बालम।