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Haripal Singh Rawat (पथिक)

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2.5  

Haripal Singh Rawat (पथिक)

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भाव और तुम

भाव और तुम

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उकेर लूँ, कागज़ पर,

जो तू आए, 

ख़्वाबों में ए ख़्याल।

बस....

कलम, कागज़, स्याही

और तुम,

मैं बह जाऊँ, भावों में, 

अहा!

जो तू‌ आये.....


भाव..... 

रचना की आत्मा से मिल,

बुन आयें, पश्मीनी, ख़्वाबों का स्वेटर,

ओढ़ता फिरुँ जिसे, 

दर्द की सर्द सहर में,

जो दे जाए, सर्द में गरमाहट... 

दर्द में राहत, 

अहा!

जो तू आए, 

ख़्वाबों में ए ख़्याल ।


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