भारत
भारत
फूल जैसा जन्म लेकर
भारत बनकर आया था
फूल जैसी माँ को पाकर
एक धरती माँ को पाया था।
ये आसमां
ये जमीं ये मिट्टी
ये धरती मेरी माँ
ये सोचकर आया था
कल क्या होगा
मालूम नहीं पर
थोड़ा घबराया था।
भारत की मिट्टी
भारत की चिठ्ठी
भारत बनकर
भारत से शरमाया था ,
हिन्दी हो या अंग्रेजी
तमिल हो या तेलगु
हर भाषा को
भारत ने अपनाया था।
खाने-पीने की कोई
फिक्र नहीं थी
अनाज उगाया था।
मैं भारत
मैं ही अकेला
मेरे देश में लाखो का मेला
हर एक वासी ने
मुझ भारत को बसाया था।
भारत है तो भारतवासी
भारत बनकर
भारत कहलाया था।
कर्ज ना लेना यारों
कि संभल ना पाऊं
मै भारत हूँ कहीं
बिखर ना जाऊं ,
किसान मेरा साथी
घर घर का प्यारा था।
देश की खातिर लगा ही रहता
जय जवान जय किसान
बहुत ही प्यारा नारा था ,
एक घूंट मे प्यास बुझती
जल बहुत ही प्यारा था।
मैं भारत
मैं भारतवासी
प्यार-मुहब्बत का मैं आदि
जन्म जन्म से
हम इसके वासी
मेरी माँ और मेरी नानी।
इन्कलाब की बात पर
इंसान है भारत की लाज पर
भारत हूँ भारत को बनाकर रखना
कल रहूँ ना रहूँ पर
लाज बचाकर रखना
याद रखो फ़िर वही बात
भारत बनकर आया था।
फूल जैसा जन्म लेकर
भारत बनकर आया था
फूल जैसी माँ को पाकर
एक धरती माँ को पाया था।